नई दिल्ली। भारतीय सेना ने हाल ही में पाकिस्तान में घुसकर नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। इस साहसिक कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इस ऑपरेशन की खास बात यह रही कि इसकी जानकारी देने के लिए सेना की ओर से दो महिला अधिकारियों ने मीडिया को ब्रीफ किया। इनमें से एक थीं कर्नल सोफिया कुरैशी — जिनका नाम अब देश की सैन्य बहादुरी की नई पहचान बन चुका है।

कर्नल सोफिया भारतीय सेना की सिग्नल कोर से ताल्लुक रखती हैं। वह साल 1999

सोफिया कुरैशी

में सेना में शामिल हुई थीं और चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से ट्रेनिंग प्राप्त की थी। उन्होंने समय-समय पर सेना में अपनी नेतृत्व क्षमता और कार्यकुशलता से खुद को साबित किया है।

सोफिया पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में 2016 में आईं, जब उन्होंने भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सैन्य दल की कमान संभाली थी। इस अभ्यास में भाग लेने वाले 18 देशों की सेनाओं में कर्नल सोफिया अकेली महिला कमांडर थीं, जो भारत की सैन्य शक्ति और महिला नेतृत्व की ताकत का प्रतीक बनीं।

गुजरात के वडोदरा में जन्मीं कर्नल सोफिया का जन्म 1981 में हुआ था। उन्होंने बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। सैन्य सेवा उनके परिवार में रची-बसी है—उनके दादा भी भारतीय सेना में थे और उनके पति मेजर ताजुद्दीन कुरैशी मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में अफसर हैं।

कर्नल सोफिया का अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी बेहद खास है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना मिशनों में छह वर्षों तक सेवाएं दी हैं। वर्ष 2006 में उन्हें कांगो में यूएन मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया गया था।

आज जब भारत की सैन्य शक्ति और महिला सशक्तिकरण की बात होती है, तो कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम प्रेरणा के रूप में सामने आता है। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी भूमिका ने यह फिर साबित कर दिया कि भारतीय महिलाएं अब हर मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में हैं।