शुक्लागंज। ज़रा सोचिए—पति से झगड़ा हुआ, गुस्सा सिर पर चढ़ा और महिला ने ठान लिया कि अब तो सीधे गंगा की गोद में समा जाएंगे। शुक्रवार की देर रात यही हुआ। कानपुर के चकेरी क्षेत्र की मालती देवी का अपने पति सुरेश से तकरार हो गई। गुस्से में भरी-भरी मालती जाजमऊ गंगा पुल पर पहुंचीं और बिना कुछ सोचे-समझे छलांग लगा दी।
पर किस्मत ने भी शायद तय कर रखा था कि “ड्रामा अभी बाकी है।” जैसे ही मालती ने पानी को गले लगाया, जीने की चाह भी उतनी ही तेज़ी से जाग उठी। हल्का-फुल्का तैरना जानती थीं, तो पूरी जान झोंक दी किनारे तक पहुंचने के लिए। लेकिन तभी गंगा की गहराई से उन्हें दिखाई दिया एक “विशालकाय मगरमच्छ जैसा जलीय जीव।”
अमरूद का पेड़ बना आश्रय
डर से भागी मालती सीधे बाबा की बगिया पहुंचीं और वहां एक अमरूद के पेड़ पर चढ़ गईं। ज़रा सोचिए, एक महिला रात के अंधेरे में नदी से निकलकर पेड़ पर बैठी है, नीचे नदी और मगरमच्छ का डर, ऊपर आसमान और अकेलापन। पूरी रात उन्होंने उस डाल पर बैठकर काट दी। न नींद, न सहारा—सिर्फ “जीने की जिद”।
किसान बने फरिश्ता
सुबह करीब 4-5 बजे कुछ किसान खेतों की ओर गए। अंधेरे से आवाज़ आई—”बचाओ-बचाओ”। किसानों ने जब पेड़ पर बैठी मालती को देखा तो पहले तो हैरान हुए, फिर तुरंत पुलिस को सूचना दी। 112 नंबर की पुलिस पहुंची और महिला को सुरक्षित नीचे उतारा।
परिवार में हंगामा, गांव में चर्चा
पुलिस ने मालती को चौकी ले जाकर परिजनों को बुलाया। अब घरवाले रोते-धोते पहुंचे, लेकिन गांव में चर्चा का विषय अलग था—”गुस्सा कितना भी बड़ा क्यों न हो, मगरमच्छ देखकर हर किसी को जीना प्यारा लगने लगता है।” लोग कहते हैं, “पति से झगड़ा रोज का मामला है, लेकिन इस बार मामला सीधे गंगा और मगरमच्छ तक पहुंच गया।