कानपुर: कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। फोटोग्राफी की शुरुआत ने न सिर्फ इतिहास को सहेजने का काम किया, बल्कि इंसानी यादों को संजोने का नया जरिया भी दिया। कानपुर में कैमरे से खींची गई पहली तस्वीर क्राइस्ट चर्च (Christ Church, Kanpur) की मानी जाती है, जिसे 19वीं सदी में अंग्रेज़ काल के दौरान लिया गया था।
1859 में खींची गई पहली तस्वीर
इतिहासकारों के अनुसार 1859 में जब कैमरा पहली बार कानपुर पहुंचा, तो क्राइस्ट चर्च और मेमोरियल वेल (Memorial Well) की तस्वीरें खींची गईं। इन्हीं फोटोग्राफ्स को शहर के कैमरे से ली गई शुरुआती और ऐतिहासिक तस्वीरें माना जाता है।
क्राइस्ट चर्च का इतिहास
क्राइस्ट चर्च कानपुर की प्रमुख इमारतों में गिना जाता है।
1840 के दशक में इसका निर्माण आरंभ हुआ और अंग्रेज़ शासकों ने इसे गॉथिक शैली (Gothic Style) में बनवाया।
यह चर्च आज भी कानपुर की पहचान है और फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैमरे का महत्व
19वीं सदी में तस्वीरें खींचने की प्रक्रिया बेहद जटिल हुआ करती थी।
कैमरे के आने से इतिहास को लिखित दस्तावेज़ों के साथ-साथ दृश्य रूप में भी सहेजा जाने लगा।
क्राइस्ट चर्च और मेमोरियल वेल की तस्वीरें इस बदलाव की गवाह हैं।
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे का संदेश
हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। यह दिन याद दिलाता है कि फोटोग्राफी सिर्फ कला नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और यादों को संजोने का सबसे प्रभावी साधन है।
लाल