सहारनपुर के रहने वाले और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से एमएससी एनवायर्नमेंटल साइंस कर चुके विपिन खजांची आज एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कार्यरत हैं। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने महसूस किया कि जल संकट आने वाले समय की सबसे बड़ी चुनौती बनने वाला है। अपने प्रोफेशनल अनुभव से वह समझते हैं कि केवल तकनीक नहीं, बल्कि आम लोगों की जागरूकता भी जल संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाती है। डिजिटल बातचीत में विपिन खजांची ने जल संकट की गंभीरता, समाधान के रास्ते और समाज में आवश्यक बदलावों पर खुलकर विचार साझा किए।
एनवायरनमेंटलिस्ट विपिन से कुछ सवाल जवाब
रिपोर्टर: वर्तमान समय में जल संकट को आप कितना गंभीर मानते हैं?
विपिन खजांची: बेहद गंभीर। अगर अब भी हम नहीं चेते तो भविष्य में पानी के लिए लड़ाइयां होना तय हैं। कई इलाकों में तो अभी से हालात चिंताजनक हो चुके हैं।
रिपोर्टर: आम लोग जल संरक्षण के लिए क्या कदम उठा सकते हैं?
विपिन खजांची: सबसे जरूरी है रोजमर्रा में पानी की बर्बादी रोकना — जैसे नल खुला छोड़ना, बाथरूम में जरूरत से ज्यादा पानी बहाना या वर्षा जल का संचयन न करना।
रिपोर्टर: वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
विपिन खजांची: ये प्लांट्स दूषित पानी को फिर से उपयोग लायक बनाते हैं, जिससे न सिर्फ स्वच्छ पानी मिलता है बल्कि प्राकृतिक स्रोतों पर दबाव भी कम होता है।
रिपोर्टर: गांवों में जल संरक्षण को लेकर सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
विपिन खजांची: जानकारी और संसाधनों की कमी। अगर सही तकनीक और जागरूकता पहुंचाई जाए तो गांव जल संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
रिपोर्टर: शहरीकरण से जल संकट कितना बढ़ा है?
विपिन खजांची: बहुत बढ़ा है। कंक्रीट के जंगलों ने जमीन में पानी रिचार्ज करने के रास्ते बंद कर दिए हैं। हर नई इमारत के साथ जल संकट भी बढ़ रहा है।
रिपोर्टर: जल संरक्षण के लिए सरकारों की कौन-सी योजना आपको सबसे बेहतर लगती है?
विपिन खजांची: ‘जल जीवन मिशन’ एक अच्छी पहल है, लेकिन इसका सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करना सबसे जरूरी है, वरना योजनाएं कागजों तक ही रह जाती हैं।
रिपोर्टर: वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) को लेकर आपकी क्या राय है?
विपिन खजांची: ये सबसे आसान और कारगर तरीका है जल संरक्षण का। हर घर, हर बिल्डिंग में इसे अनिवार्य करना चाहिए।
रिपोर्टर: औद्योगिक जल प्रदूषण पर आपकी क्या राय है?
विपिन खजांची: उद्योगों को अपना अपशिष्ट पानी ट्रीट करके ही नदी या जमीन में छोड़ने देना चाहिए। इसके लिए सख्त निगरानी जरूरी है।
रिपोर्टर: आने वाले 10 वर्षों में जल संकट को लेकर आपकी क्या आशंका है?
विपिन खजांची: अगर हम अभी से नहीं सुधरे, तो अगले 10 सालों में पानी सोने से भी ज्यादा कीमती हो सकता है, और बड़े शहरों में पानी के दंगे भी देखने पड़ सकते हैं।
रिपोर्टर: युवा पीढ़ी को जल संरक्षण के क्षेत्र में कैसे जोड़ सकते हैं?
विपिन खजांची: स्कूलों और कॉलेजों से ही शुरुआत होनी चाहिए। प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट्स, पानी बचाने के अभियान और जागरूकता कार्यक्रम से युवा बहुत कुछ बदल सकते हैं।